पलामू समाचार केंद्र प्रतिनिधि मेदिनीनगर पलामू झारखंड दीपक तिवारी +917979886793 पलामू के कलाकारों ने जीते सात पुरस्कार ऑल इण्डिया आर्टिस्ट एसोसिएशन द्वारा शिमला आयोजित अखिल भारतीय नाट्य प्रतियोगिता में पलामू की संस्था मासूम आर्ट ग्रुप ने प्रथम पुरस्कार सहित कुल सात पुरस्कार जीत झारखंड का परचम लहरा दिया. पुरस्कार वितरण समारोह में जब जब पुरस्कारों की घोषणा हुई तब तब पूरा हाल जय पलामू, जोहर झारखंड की नारो से गूंज उठा. मासूम को ग्रुप स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार तथा व्यक्तिगत स्पर्धा में पुरस्कार मिले. मासूम के अध्यक्ष विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए संस्था के कलाकार छह जून को शिमला गए थे, जहां नौ जून को उन्होंने अपनी प्रस्तुति दी. 11 जून को पुरस्कारों की घोषणा की गई. शिमला के गेटी थियेटर में नाटक का मंचन हुआ जबकि काली बाड़ी हॉल में पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया गया था. इस अवसर पर एनएसडी के वरीय रंगकर्मी सह टीवी व सीने स्टार रोहिताश्व गौड़, एनएसडी के अरविंद गौर, श्रीश डोवाल सहित कई लोग मौजदू थे. श्री पाण्डेय ने बताया की राष्ट्रीय नाट्य प...
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प्रतिनिधि मेदिनीनगर पलामू झारखंड
दीपक तिवारी
झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा 2025 में पलामू और गढ़वा के लिए नागपुरी को क्षेत्रीय भाषा के रूप में घोषित करना मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी सरकार का न केवल एक ग़लत फैसला है, बल्कि यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण भी है कि मौजूदा सरकार को पलामू और गढ़वा की सांस्कृतिक पहचान, भाषाई आत्मा और जनभावनाओं की कोई परवाह नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता सूर्या सिंह ने इस फैसले को पलामू और गढ़वा की जनता का अपमान बताते हुए कहा कि यह केवल भाषा परिवर्तन नहीं, बल्कि हमारी भाषाओं — मगही और भोजपुरी — को दबाने और हमारी सांस्कृतिक विरासत को मिटाने की साज़िश है। सदियों से यहां के लोग इन्हीं भाषाओं में सोचते, बोलते और जीते आए हैं। नागपुरी को थोपना इस क्षेत्र के साथ घोर सौतेला व्यवहार है।
सूर्या सिंह ने यह भी कहा कि इस निर्णय से साफ हो गया है कि सरकार जानबूझकर पलामू और गढ़वा को मुख्यधारा से काटना चाहती है। यदि आज हमारी भाषाओं को शिक्षा और प्रशासन में स्थान नहीं मिला, तो कल हमारा प्रतिनिधित्व भी समाप्त हो जाएगा। यह फैसला हमारी भावी पीढ़ियों को उनके अपने भाषाई अधिकारों से वंचित करने की साजिश है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने यह फैसला तुरंत वापस नहीं लिया, तो पलामू और गढ़वा की जनता एकजुट होकर बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेगी। यह सिर्फ विरोध नहीं होगा — यह सम्मान, अधिकार और अस्मिता की लड़ाई होगी, जो हर गांव, हर चौपाल, हर दिल से उठेगी और रुकने वाली नहीं है।
अंत में सूर्या सिंह ने झारखंड सरकार से मांग की कि वह इस जनविरोधी निर्णय को तत्काल वापस ले और पलामू-गढ़वा के लिए मगही और भोजपुरी भाषाओं को ही क्षेत्रीय भाषा के रूप में बहाल करे। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अब थमेगी नहीं — यह हमारे भविष्य, हमारे हक और हमारी मातृभाषाओं की रक्षा की लड़ाई है।
Editor-In-Chief
PUSHKAR TIWARI
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